69000 Shikshak Bharti Latest News: 69000 शिक्षक भर्ती मामला जा सकता है सुप्रीम कोर्ट, SC जाने से होगा बड़ा नुक़सान

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69000 Shikshak Bharti Latest News: 69000 शिक्षक भर्ती मामला जा सकता है सुप्रीम कोर्ट, SC जाने से होगा बड़ा नुक़सान। उत्तर प्रदेश में 69000 शिक्षक भर्ती घोटाला मामला तूल पकड़ चुका है। इस मामले में अभी फ़िलहाल कोई भी अंतिम फ़ैसला नहीं आया है। किंतु अब बहुत बड़ी ख़बर सुनने में आ रही है। जोकि यह मामला सुप्रीम कोर्ट में जाता हुआ दिख रहा है। अगर ऐसा होता है तो कई समस्याएँ होने की संभावना हो सकती है। आपको बता दें यह भर्ती 2019 में की गई थी। इसके बाद प्रदेश में अनी शिक्षक भर्ती नहीं आयी है। इस आरक्षण घोटाले से जुड़ सकता है नई भर्ती का तार। क्या है पूरी खबर आगे देखिए।

69k शिक्षक भर्ती घोटाला मामले पर लेटेस्ट न्यूज़ (69000 Shikshak Bharti Latest News)

आपको बता दें कि यह भर्ती 69000 पदों के लिए 2019 में आयी थी। जिसके बाद परीक्षा संपन्न होने के उपरांत जब इसका कट ऑफ जारी किया गया था उस समय भी इसको लेकर काफ़ी अधिक बवाल हुआ था। जिसके बाद भर्ती प्रक्रिया संपन्न हुई थी। लेकिन लगभग 6800 ऐसे अभ्यर्थी जिनका कहना है कि उनके साथ आरक्षण घोटाला करके हक़ मारते हुए सरकार ने अनारक्षित श्रेणी वाले अभ्यर्थियों की नियुक्ति कर दी है। तो वहीं ओबीसी वर्ग का कहना है कि ओबीसी को मात्र 3% ही आरक्षण दिया गया जबकि 27% दिया जाना चाहिए था।

काफ़ी लंबे समय से चले आ रहे इस मामले को हाई कोर्ट में सुनवाई के बाद एक आदेश जारी हुआ जिसने सरकार के साथ ही चयनितों की नींद उड़ा दी। आपको बता दें कि हाई कोर्ट ने 69000 चयनित शिक्षकों की सूची रद्द करते हुए पुनः नई सूची बनाने का आदेश दिया है। जिसके बाद से प्रदेश में काफ़ी बवाल इस मुद्दे को लेकर हो रहा है। क्योंकि अब चयनित अभ्यर्थी भी मैदान में उतर चुके हैं। उनका कहना है कि इसमें यदि उनकी नौकरी जाती है तो उनकी क्या गलती है। लेकिन जिन्हें नौकरी नहीं दी गई उनकी भी कोई गलती नहीं है। इसमें दोनों पक्ष अपने जगह सही है। अतः हाई कोर्ट ने किसी के साथ बिना अन्याय के फ़ैसला लेने को कहा है।

सुप्रीम जाने से सरकार ने किया इंकार

इस मामले में राज्य सरकार के पास दो रास्ते थे पहला की वह हाई कोर्ट के फ़ैसले सुप्रीम कोर्ट में को चुनौती दे तथा दूसरा हाई कोर्ट के फ़ैसले को मानते हुए नई सूची जारी करे। फ़िलहाल सरकार ने यह साफ़ कर दिया है कि वह सुप्रीम कोर्ट नहीं जाएँगे और हाई कोर्ट के फ़ैसले को पूरी तरह से मानते मानेंगे। किंतु अब बात आती चयनितों की जोकि सुप्रीम कोर्ट जाने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। उन्हें भय है कि कहीं उनकी नौकरी न दांव पर लग जाये। किंतु सुप्रीम कोर्ट जाने से इस मामले में देरी के अलावा क्या फ़ायदा होगा यह मेरी समझ से परे है।

लेकिन चयनितों का सुप्रीम कोर्ट जाने का फ़ैसला भी ग़लत नहीं ठहराया जा सकता। अब देखना होगा इसपर सरकार क्या स्टैंड लेती है तथा दोनों पक्षों को किस प्रकार से मनाती है। किंतु इतना अवश्य है कि इस मामले में किसी पक्ष की कोई गलती नहीं है। और इनके साथ उन्हें अन्याय को करने वाले अधिकारियों का नाम सार्वजनिक करने के लिए सरकार को संज्ञान लेना चाहिए।

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